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श्राद्ध में पंचबली का विशेष महत्व: आचार्य शर्मा
इंदौर. श्राद्ध में पंचबली महत्व है. वैतरणी नदी से गाय पार लगाती है. यमराज का पशु है श्वान, कौव्वे को देवपुत्र व यमराज का सन्देशवाहक माना जाता है. अग्नि व ब्राह्मणों को दिया भोजन पितरों को सीधे प्राप्त होता है।
यह बात भारद्वाज ज्योतिष व आध्यात्मिक शोध संस्थान के शोध निदेशक आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने कही. उन्होंने चर्चा करते हुए आगे बताया कि गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने व महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को पितृ पक्ष का विधिवत महत्व बतलाया था कि श्राद्ध पितृ कृपा के दिन माने जाते है. इन दिनों श्रद्धा से पुण्यतिथि पर जो कुछ भोजनादि दिया जाता है उससे पितरों की तृप्ति होती है और वे सुख, शांति व समृद्धि का आशिरवाद प्रदान कर पुन: पित्र विसर्जनी अमावस्या को पितृ लोक लौट जाते हैं.
पितृ पक्ष में दिवंगत परिजनों की पुण्यतिथि पर श्राद्ध करने का विधान है. श्राद्ध से तात्पर्य श्रद्धा से है. इसमें ब्राह्मण भोजन के पूर्व पंचबली अर्थात गाय, श्वान (कुत्ता ),कौव्वा, देवादि बलि, चींटी आदि को भोजन का भाग दिया जाता है. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है सीधे पितरों को प्राप्त होता है. पंचबली का ही श्राद्ध में विशेष महत्व बतलाया गया है.
ढूंढने में करना पड़ती है मशक्कत
आज हरियाली को नष्ट कर स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है. पेड़ पौधों की कमी के चलते शहरों का पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है. शहरीकरण के चलते इसका प्रभाव हमारे पशु पक्षियों पर भी पढ़ रहा है जिससे ये शहरों से पलायन कर गांवों की और विमुख हो रहे है. आज गाय, श्वान, कौव्वा व छोटे चींटी आदि जीव जंतु ढूंढे नहीं मिलते. ऐसे में श्राद्ध कर्ताओं को बढ़ी मशक्कत करना पड़ती है. ऐसी मान्यता है कि इनकी तृप्ति के बिना पितरों की तृप्ति नहीं होती.
करते हैं आभार व्यक्त
आचार्य शर्मा ने पंचबली का धर्मशास्त्रीय महत्व प्रतिपादित करते हुए बताया कि गाय पृथ्वी, कौव्वा वायु, श्वान जल, चींटी अग्नि व देवता आकाश तत्व के प्रतीक बताए है. हम पंचबली के माध्यम से इनका आभार ही व्यक्त करते है. ऐसा माना जाता है कि ये पितरों को प्राप्त होती है. उपर्युक्त पंचबली देने के बाद ब्राह्मण भोजन का संकल्प कर यथा शक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितरों की तृप्ति होती है व सुख, शांति व समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक विधि विधान से जो अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसे पितृ कृपा प्राप्त होती है.